रात जो गुज़र गयी सो गुज़र गयी ये तो पुरानी बात थी,
उन आँखों में छिपी एक उजली रात थी,
जब देखा था मंज़रे-हसीन-नबाव एक चाँद था,
मैंने,इश्क़ में, अपनी जान दाव पर लगा दिया था ,
और वह प्यार की पहली मात थी
वह शब्बतों नहीं भूले जब सपनों में आये थे तुम,
हाथों में हम अपना दिल लिए आपका स्वागत कर रहे थे
उफ़! वह निगाह की निगाहों से मुलाक़ात की थी मैंने,
उस लम्हा रात में चाँद था और सितारों की बारात थी, ,
हम ने दर्द पहने, ओढ़े और बिछाये रखी थी
एक नयी जलन की यह एक नयी शुरूआत थी,
हमने जिसे दिल में जगह दी उसने दग़ा किया,
हर एक मतलबी का अपनी एक ज़ात थी ,
रात बदले नहीं थे और चाँद भी रोशन था,
साथ हो रही उस की यादों की बरसात थी,
जिसने मुझे छूकर तकलीफ किया है ‘नज़र’से ,
गँवाई इश्क़ वह भी इक नज़रे-इत्तेफाक से |
......................सदा बहार ......................
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