Me Shayeri Q Likhti Hoon Ye Mujhe Nahi Pata,Magar Shayeri K Maadyam Se Me Aap Sabhi Ko Kuch Mehsus Kerana Chahti Hoon,Jaise Prem - Pira - Pehchaan Or Parichay,Jab Tanhai Me Apne Under Ki Aatmaa Ko Mehsus Karti Hoon,Tab Anubhurtiyaan Ek Dard Sa Man Hi Man Me Sisakta Rehta Hai,Jise Maine Apne Dill Se Anubhurti Kar Shayeri K Maadhyam Se Kavita K Zariye Logon Tak Pahunchaane Ki Koshish Ki Hai,Shayeri Likhna Koi Mazaak Nahi,Dill Se Shayeri Likhte Waqt Aansu Aa Jaate Hai...
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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Sunday, 18 March 2012
Monday, 12 March 2012
एक शायर शाएरी में पागल तो एक दीवाना प्रेम में पागल
न समझ पाई में ,
अपने आप को अभी तक !
दिल क्या चीज़ है ,
नहीं जान पाई अभी तक !
भरोसा किसपे करूँ ,
न एहेसास कर पाई अभी तक !
कभी कभी लगता है ,
की शाएरी लिखने का अंदाज़ ,
आया कहा से ?
किसने सिखाया ये शाएरी लिखना ?
सफ़ेद कागज़ पर ,
काले अक्षर भैस बराबर ,
आड़े तिरछे लकीरें ,
उच्च नीच भाषाओं को ,
लपेटे हुए लोगों के ,
दिल तक पहुँचने वाले ,
क्या यही है शाएरी ?
कैसे कोई किसी के लिए ,
एक पल में ख़ास बन जाता है ?
आम हो जाता है कोई ,
और कोई एक पल में ही ,
दिलदार बन जाता है !
आड़े तिरछे भावनाओं के ,
लकीरों को पढ़के लोग ,
शायर को पागल करार देते है !
कहेते है ये शायर पागल है !
कोई दीवाने को भी ,
पागल कहेते है !
पर क्यूँ ?
क्या कोई पागल दीवाने का ,
प्यार कभी कम हो सकता है ?
एक शायर शाएरी में पागल है !
और एक दीवाना प्रेम में पागल है !
ये दोनों पागलों में ,
क्या अंतर है ?
~ ~ सदा बहार ~ ~
Friday, 9 March 2012
Tuesday, 6 March 2012
Monday, 5 March 2012
प्यास
ये समंदर भी कितना पास है ,
फिर भी मुझमे कितना प्यास है ,
आसमा मिल जाये इस ज़मी से ,
आज भी मुझे इस बात का एहेसास है ,
नहीं पड़ता है फर्क तुझे ,
पर इसी बात से तो तू बड़ा ख़ास है ,
तू ही मेरी गुरुर है ,
मत कर बात और न देख मुझे ,
पर होगा तू हरपल मेरे पास ,
मुस्कुराती तो में अब भी हूँ ,
बस लोग कहेते है की में जिंदा लाश हूँ ,
झनझनाती तेरी मुस्कराहट मुझे आज भी याद है ,
सदा के ख़ुशी में तेरा वास है ,
मुसीबतों से जब में गुज़रती हूँ ,
तब तेरे यादों के साथ मेरा दर्द भी साथ रहता है ,
अगर जान ली होती में तुम्हे प्यार करने से पहेले ,
तो न कहती की ज़िन्दगी भर ,
ये प्यार बस एक " काश " है ।
Saturday, 3 March 2012
Friday, 2 March 2012
ढाई अक्षर प्यार का
उम्र ढल जाएगी ,
एक लम्हे के बाद ,
ढाई अक्षर के ,
प्यार को कहते हुए ,
दो लफ्ज़ थे एक बात ,
थी हमारी ज़िन्दगी की ,
वो एक दिन सौ साल का ,
सौ साल की वो रात थी ,
हम दोनों साथ थे ,
याद तो हर कोई करेगा ,
हमारे जाने के बाद ,
सच्चे प्यार का पता ,
चल जाएगा वक़्त ,
आने के बाद ,
कौन कितना मोहब्बत ,
करता है ,
नज़र आ जायेगा मेरे ,
मरने के बाद ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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