न समझ पाई में ,
अपने आप को अभी तक !
दिल क्या चीज़ है ,
नहीं जान पाई अभी तक !
भरोसा किसपे करूँ ,
न एहेसास कर पाई अभी तक !
कभी कभी लगता है ,
की शाएरी लिखने का अंदाज़ ,
आया कहा से ?
किसने सिखाया ये शाएरी लिखना ?
सफ़ेद कागज़ पर ,
काले अक्षर भैस बराबर ,
आड़े तिरछे लकीरें ,
उच्च नीच भाषाओं को ,
लपेटे हुए लोगों के ,
दिल तक पहुँचने वाले ,
क्या यही है शाएरी ?
कैसे कोई किसी के लिए ,
एक पल में ख़ास बन जाता है ?
आम हो जाता है कोई ,
और कोई एक पल में ही ,
दिलदार बन जाता है !
आड़े तिरछे भावनाओं के ,
लकीरों को पढ़के लोग ,
शायर को पागल करार देते है !
कहेते है ये शायर पागल है !
कोई दीवाने को भी ,
पागल कहेते है !
पर क्यूँ ?
क्या कोई पागल दीवाने का ,
प्यार कभी कम हो सकता है ?
एक शायर शाएरी में पागल है !
और एक दीवाना प्रेम में पागल है !
ये दोनों पागलों में ,
क्या अंतर है ?
~ ~ सदा बहार ~ ~
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteDhanyavaad Shastri Ji !
ReplyDeletebahut khub mubarak ho
ReplyDelete