जब जब बहार आये और फूल सदा मुस्कराए ,
चाँद जब भी निकले बाहर सारे तारे सदा जगमगाए ,
अपना कोई तराना मैंने नहीं बनाया ,
जो भी तुमने दिया उसे में सपनों में याद करुँगी ,
तुमने मेरे लबों पे हर एक सुर सजाया ,
दुनियाँ के तराने जब जब गुनगुनाये ,
सदा मुझे तुम्हारी याद आये और फूल मुस्कराए ,
एक प्यार और वफ़ा की तस्वीर हो तुम ,
हर रोज़ में खुदा से पहले तुम्हे याद करुँगी ,
तुम्हे में अपने ज़िन्दगी की तकदीर मानती हूँ ,
जब जब बहार आये हर पल ,
तेरे मिलने की फरियाद
करुँगी ,
तुम जहा भी रहो सदा खुश रहो ,
देखी मेरी नज़रों ने खुशियाँ ,
या देखे गम के साए ,
फिर तुम मुझे याद आये ,
मुमकिन नहीं है ये जिंदगानी कर जाए बेवफाई ,
लेकिन यह प्यार वो है जिसमें नहीं कोई जुदाई ,
इस प्यार के फ़साने जब जब ,
जुबान पे आये मुझे तुम याद आये ,
और जब जब बहार आये फूल सदा मुस्कराए ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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