फर्क सिर्फ इतना सा था !
तेरी डोली उठी,
मेरी मय्यत उठी,
फूल तुझ पर भी बरसे,
फूल मुझ पर भी बरसे ।
फर्क सिर्फ इतना सा था !
तू सजाई गयी,
मुझे सजाया गया,
तू भी घर को चली,
मैं भी घर को चला ।
फर्क सिर्फ इतना सा था !
तू उठ के गयी,
मुझे उठाया गया,
महफ़िल वहा भी थी,
लोग यहाँ भी थे ।
फर्क सिर्फ इतना सा था !
उनका हसना वहा,
इनका रोना यहाँ,
क़ाज़ी उधर भी था,
मोलवी इधर भी था,
दो बोल तेरे हुए,
दो बोल मेरे हुए,
तेरा निकाह हुआ,
मेरा जनाज़ा हुआ ।
फर्क सिर्फ इतना सा था !
तुझे अपनाया गया,
मुझे दफनाया गया ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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