ऐ ज़िन्दगी तुझे क्या दूँ ,
ये फिजाऐँ ,ये हवायेँ ,
या सावन के घटाएं ,
या मेरे ज़िन्दगी का दरकती सदाऐँ , या बहारें ,
क्या गुजारा हो जाएगी तेरे इश्क के लम्हे ज़िन्दगी में ,
या चाहिये तुझे मेरे बाहोँ का घेरा ,
तेरे खूबसूरती का रखवाला हुँ मैँ ,
तेरे मासूम हाथों के नशे का प्याला हुँ मैँ ,
एक बार मेरे आगोश मेँ आकर देख ऐ जिँदगी ,
तेरी खुबसुरती में चार चाँद लग जायेगी ,
और मासुमियत की अदाओं से ,
तेरी ज़िन्दगी स्वर जाएगी ,
पर कोई कहता है खूबसूरत ,
लम्हे से ज़िन्दगी एक दिन गुजर जाएगी ,
ऐ मासूम जिँदगी तुझे क्या दूँ ?
~ ~सदा बहार ~ ~
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