इस तरह पढ़ो जैसे अल्लाह का दीदार कर रहे हो !
*.*दुआ *.*
ऐसे मांगो जैसे अल्लाह से भीक मांग रहे हो !
*.*दोलत*.*
ऐसे रखो जैसे सूर्य की रौशनी तमतमा रही हो !
*.*रोज़ा*.*
ऐसे रखो जैसे ज़िन्दगी के गुनाह एक ही रोज़े में ख़तम हो रहे हो !
*.*दिल*.*
को ऐसा बनाओ जैसे दिल में ही रब को पा रहे हो !
~ ~ सदा बहार ~ ~
No comments:
Post a Comment