जब इंसान दुनिया में बच्चे के रूप में आता है तो ,
पहला प्यार माँ अपने बच्चे से करती है ,
धीरे - धीरे जब वो पढ़ - लिखकर बढ़ा होता है तो ,
दूसरा प्यार अपने प्रमी / प्रेमिका से करता है ,
प्यार शब्द वास्तव में ढाई अक्षर का क्यूँ है ? ,
क्यूँ की इस प्यार का आधा अक्षर माँ ने ,
अपने बच्चे के जन्म लेने से पहले ही ले लिया था ,
इसीलिए प्यार का अक्षर अधुरा है ,
बच्चा शब्द भी अधुरा है क्यूँ की ,
इसमें भी माँ का हिस्सा है ,
दोस्त शब्द को भी माँ ने ले लिया है ,
इतना ही नहीं ,
प्यार से जुड़े हुए जितने भी शब्द है ,
सब ढाई अक्षर के है ,
इसमें मस्ती भी आता है ,
और आगे आप अनुमान लगा सकते है ,
आप सभी मित्रों से निवेदन है की ,
इन ढाई अक्षरों को बराबर दर्जा दिजिए ,
प्यार चाहे कैसा भी हो ,
पहले प्यार को कभी न ठुकराना ,
चाहे वो माँ का प्यार हो ,
या चाहे प्रेमी / प्रेमिका का प्यार ,
प्यार अमूल्य है ,
अतुलनीय है ,
अजर - अमर है ,
एक अटूट बंधन और एक विशवास है ,
इसे अमल करना और संभाल के रखना ,
हम मनुष्यों के वस् की बात नहीं ,
ये तो ऊपर वाले ने हमारे किस्मत में बनाकर भेजा है ,
इस प्यार में बहुत से सुख - दुःख - कष्ट - दर्द - भेद - भाव -
आचार - विचार - सुन्दरता - भलाई - बुराई - लेन - देन सभी जुड़े होते है ,
जरुरत से ज्यादा प्यार हम मनुष्यों के लिए कष्टदायक होता है ,
और फिर बाद में यही प्यार कष्ट में दवा बनता है ,
सोना - चाँदी , हिरा - मोती से भी अनमोल प्यार है ,
प्यार की कोई परिभाषा नहीं ,
एक अधूरी माँ को यही प्यार माँ बनाती है ,
यही प्यार सभी को हसाता है , रुलाता है ,
जीवन लेता है और जीवन देता भी है ,
यह अतुलनीय प्यार हर किसी के जीवन में धन से ज्यादा जरुरत है ,
एक भूके को भी यही प्यार चाहिए ,
हम पृथ्वी वासियों को यही अजर - अमर प्यार की जरुरत है ,
प्रकृत से जुड़े हर चीज़ या जिव को यही प्यार की जरुरत है ,
यही ढाई अक्षर का प्यार हमारे पृथ्वी का विनाशक भी हो सकता है ,
और यही ढाई अक्षर का प्यार ,
अगर हर किसी को दिल से मिल जाए तो ,
वो एक इतिहास बन सकता है ,
दोस्तों आप सभी से निवेदन है ,
की यह ढाई अक्षर कितना भी भला - बुरा -
कष्टदायक - दुःख - दर्द - कला या गोरा क्यूँ न हो ,
इसे संभाल कर रखियेगा क्यूँ की ये इश्वर की देन है ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
No comments:
Post a Comment