खिली बसंत के बहार पीले सरसों के खेत में ,
सभी को आज है इन्तेजार उस पल का ,
जब आयेगा बसंत लेके ख़ुशी आप सभी के द्वार ,
उत्कर्ष होगा हर दिल में ,बसंत की हर बहार ,
हम भी उड़ेंगे आसमान पर एक पतंग के तरह ,
पाकर ख़ुशी हर पल सदा बहार के तरह ,
नाचेंगे झूमेंगे पीले पीले सरसों के खेतों में ,
रंग बरसे पीला और छाये सरसों सी उमंग ,
आप सभी के जीवन में रहे सदा बसंत के रंग ,
खेत खेत खिलें हैं ; सरसों के फूल ,
गाँव गली इठलाई ; चन्दन की धुल ,
सूरज है उतर रहा ; पीपल से जाग ,
ढाक-ढोलक बजने दो ; बजने दो छांग,
छाने दो सतरंगा ; इन्दर धनुषी रंग रंगने दो ,
पीले बसंत के चादर ओढ़े मिटटी में,
शीत की लहरें मिल जाने दो ,
बूँद बूँद है ओस गिरते ,पीली धरती है खूब खिलती ,
धरती में समाने दो .बसंत का गीत गाने दो ,
पीले पीले सरसों के फूलों में भवरें है गुनगुनाते ,
उड़ी उड़ी रे उड़ी पतंग ; देखो बादलों के संग .
हवा के संग बातें करती ; उचाईओं से कभी न डरती .
पीले सरसों के फूलों की बरसा सरद की फुहार ,
चलो हम सब झूमें पीले बसंत में सदा बहार !!
सदा बहार
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