Me Shayeri Q Likhti Hoon Ye Mujhe Nahi Pata,Magar Shayeri K Maadyam Se Me Aap Sabhi Ko Kuch Mehsus Kerana Chahti Hoon,Jaise Prem - Pira - Pehchaan Or Parichay,Jab Tanhai Me Apne Under Ki Aatmaa Ko Mehsus Karti Hoon,Tab Anubhurtiyaan Ek Dard Sa Man Hi Man Me Sisakta Rehta Hai,Jise Maine Apne Dill Se Anubhurti Kar Shayeri K Maadhyam Se Kavita K Zariye Logon Tak Pahunchaane Ki Koshish Ki Hai,Shayeri Likhna Koi Mazaak Nahi,Dill Se Shayeri Likhte Waqt Aansu Aa Jaate Hai...
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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Thursday, 14 February 2013

पीले बसंत के बहार


खिली बसंत के बहार पीले सरसों के खेत में ,
सभी को आज है इन्तेजार उस पल का , 
जब आयेगा बसंत लेके ख़ुशी आप सभी के द्वार ,
उत्कर्ष होगा हर दिल में ,बसंत की हर बहार ,
हम भी उड़ेंगे आसमान पर एक पतंग के तरह , 
पाकर ख़ुशी हर पल सदा बहार के तरह ,
नाचेंगे झूमेंगे पीले पीले सरसों के खेतों में , 
रंग बरसे पीला और छाये सरसों सी उमंग ,
आप सभी के जीवन में रहे सदा बसंत के रंग ,
खेत खेत खिलें हैं ; सरसों के फूल ,
गाँव गली इठलाई ; चन्दन की धुल , 
सूरज है उतर रहा ; पीपल से जाग , 
ढाक-ढोलक बजने दो ; बजने दो छांग,
छाने दो सतरंगा ; इन्दर धनुषी रंग रंगने दो ,
पीले बसंत के चादर ओढ़े मिटटी में,
शीत की लहरें मिल जाने दो ,
बूँद बूँद है ओस गिरते ,पीली धरती है खूब खिलती ,
धरती में समाने दो .बसंत का गीत गाने दो , 
पीले पीले सरसों के फूलों में भवरें है गुनगुनाते ,
उड़ी उड़ी रे उड़ी पतंग ; देखो बादलों के संग .
हवा के संग बातें करती ; उचाईओं से कभी न डरती .
पीले सरसों के फूलों की बरसा सरद की फुहार ,
चलो हम सब झूमें पीले बसंत में सदा बहार !!

सदा बहार

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