मेरी मन की सदा बहार को दफ़ना कर बोर्सो काली रातों को,सर्द हवा की
बर्फ़ीली रात में एक काली रात जागी दो नैनो में,
और बर्फ़ की चादर ओढ़,
सुबह के दरवाज़े पर दस्तक दी कपकपाती ठण्ड ने,
नींद भरी आँखों से सुबह की अंगड़ाई में,
बसंत के आने की उम्मीद लिए,
भीगी ज़मीन से ज्यों फूटा,
एक नया कलि ,
नए जीवन और नई उमंग,
नई खुशियों के संग,
सदा बहार के चमन का गुल खिला है,
झिलमिलाते किरनों में भीगता,
साल का नया महिना नई आशाओं की छाँव में,
एक सपनों का संसार बसाने,
चला वो अपनाने नए आकाश को
नए सुबह की नई धूप में
नई आशाओं की नई किरन के संग
आज फिर आया है नया साल
पीछे छोड़ जाने बाले परछाइयाँ को ना देखो पीछे मोर के
सदा बहार
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