साल का नया महिना आया है,बाहर आके देखो,
और सुबह का वही सूरज निकला है,बाहर आके देखो,
न बदले सूरज वही उजाले के साथ सर चढ़ा है,ज़रा बाहर आके देखो,
हम न बदले और न बदला दुनिया,तनिक बाहर आके देखो,
बेवफा से अब गिला शिकवा मत रखना,ज़रा हाथ मिलाकर देखो,
नारियों के ज़िन्दगी से खिलवाड़ हो रहा है,अपनी आँखें खोलकर देखो,
क्यूँ बोलते हो झूठ पे झूठ,तनिक अपना काला चेहरा तो देखो,
हिन्दुस्तान में एक पर एक फ्री मिलता है,कुछ सामान खरीदकर देखो,
सदा बहार के चमन का गुल खिला है,ज़रा बाहर आके देखो ।
सदा बहार
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