कांपते होठों की आवाज रुक गयी आपकी सूरत देखकर,
ठंडी यादों का मल्ल्हम लपेटा है बर्फ़ की चादर से ,
और फिर कांपते उन होठों को उस गीत को संगीत दिया मैंने आपकी
मुस्कुराहट देखकर,
ठंडी ठंडी हवा की बर्फ़ीली रात में एक सूरत देखा मैंने
,
फिर एक काली रात जागी दो नैनो में,कांपते उन होठों से संगीत
जगी सदा
मेरी ह्रदय में |
सदा बहार
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