लम्हो दूरी की एक किताब है ज़िंदगी,
आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है,
सांसो और ख़यालो का हिसाब है ज़िंदगी,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाशें अधूरी,
बस इन्ही सवालो का जवाब है ज़िंदगी,
ऐ ज़िंदगी तू बता तेरा इरादा क्या है,
इक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले,
मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले,
मुझको पैदा किया संसार में दो लाशों ने,
और बर्बाद किया क़ौम के अय्याशों ने,
तेरे दामन बसा मौत से ज़्यादा क्या है,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
जो भी तस्वीर बनाता हूं बिगड़ जाती है,
देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है,
मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वादा क्या है,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
तूने जो दर्द दिया उसकी क़सम खाता हूं,
इतना ज़्यादा है कि एहसां से दबा जाता हूं,
मेरी तक़दीर बता और तक़ाज़ा क्या है,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
मैंने जज़्बात के संग खेलते दौलत देखी,
अपनी आंखों से मोहब्बत की तिजारत देखी,
ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रक्खा क्या है,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
लम्हो की एक किताब है ज़िंदगी.
आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है,
सांसो और ख़यालो का हिसाब है ज़िंदगी,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाशें अधूरी,
बस इन्ही सवालो का जवाब है ज़िंदगी,
पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है,
ऐ ज़िंदगी तू एक बार बता दे .तेरा इरादा क्या है |
~ ~ सदा बहार ~ ~
No comments:
Post a Comment