Me Shayeri Q Likhti Hoon Ye Mujhe Nahi Pata,Magar Shayeri K Maadyam Se Me Aap Sabhi Ko Kuch Mehsus Kerana Chahti Hoon,Jaise Prem - Pira - Pehchaan Or Parichay,Jab Tanhai Me Apne Under Ki Aatmaa Ko Mehsus Karti Hoon,Tab Anubhurtiyaan Ek Dard Sa Man Hi Man Me Sisakta Rehta Hai,Jise Maine Apne Dill Se Anubhurti Kar Shayeri K Maadhyam Se Kavita K Zariye Logon Tak Pahunchaane Ki Koshish Ki Hai,Shayeri Likhna Koi Mazaak Nahi,Dill Se Shayeri Likhte Waqt Aansu Aa Jaate Hai...
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
free counters

Vote This Page

Monday, 28 January 2013

में एक औरत ?



हा ! में एक औरत हूँ,
तुम पुरुषों को बार - बार क्यूँ बोलना पड़ता है की में एक औरत हूँ,
हा ! में एक औरत हूँ,
मुझे गर्व है की मै एक औरत हूँ,
मुझे गर्व है की में एक माँ हूँ,
मुझे गर्व है की में एक बिटिया हूँ ,
तीनों बनकर एक शक्ति दाइनि भी हूँ जिसे माँ दुर्गा का स्वरूपिणी कहते है, 
हा ! में एक नारी हूँ, जिसे औरत कहते है, 
तुम पुरुष मुझसे प्रेम करते हो, 
क्या पता है तुम्हे की तुम पुरुष मुझसे प्रेम क्यूँ करते हो ? 

मै औरत हूं ---तुम्हारी हूं,तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ,

क्यूँ की तुम पुरुषों के आधे शारीर ही तो औरत है, 
तुम हम औरतों को क्या समझते हो,क्या हम कमज़ोर है ?
नहीं ! हम कमज़ोर नहीं है,कमज़ोर तो तुम पुरुष हो,
हम औरतों के बिना तुम पुरुष तो अधूरे हो,
तुम्हारे अंग से अगर हम औरतों का अंग हटा दिया जाए,
तो तुम पुरुष कुछ भी नहीं हो,कैसे कहोगे की तुम बलवान पुरुष हो ?
और हम औरतें भी तुम पुरुषों के बिना अधूरे है,
तुम पुरुष और हम औरत मिलकर ही तो एक होते है, 
तुम्हारे हमारे मिलन से तो एक से दो होते है,
और तुम पुरुषों को ज़िन्दगी भर खुश रखने के लिए,
हम औरतें चक्की की तरह पिसती है,
तुम पुरुष तो औरतों का अस्तित्व ही नहीं जानते हो,
तुम मुझमे ही रहते हो और मुझ औरत से ही जन्म लेते ही,
हम औरत अगर तुम्हे जन्म न दे तो तुम किस बात के पुरुष रहोगे,
मुझे तो बस तुम पुरुषों के लिए देना ही आता है,
तुम्हारे हर वंश को जन्म देना हम औरतों का ही काम है,
क्या तुम अपने वंश को खुद जन्म दे सकते हो ? 

नहीं न ? 

जबतक औरत और पुरुष न मिले तबतक ये संसार कोई संसार नहीं है,
हम औरतों की तरह तुम्हारी सोच नहीं है,
न ही तुम वंश के लिए कुछ सोच सकते हो,
और न ही औरतों के लिए,
तुम पुरुषों को तो बस सुख और ऐश - ओ - आराम चाहिए, 
तुम पुरुष ज़रा सा भी महनत करते हो तो उफ़ करते हो,
हम औरत कभी उफ़ नहीं करतें हम तो कुल्लू के घानी के तरह है,
तुम पुरुष तो हम औरतों को इज्जत शोहरत देना नहीं चाहते हो,
तुम पुरुष ये बात बार बार क्यूँ भूल जाते हो की हम औरत है,
तुम हमारे ही कोख से जन्म लेते हो और,
हमारा ही धमनी से अमृत पीकर ही अपना जीवन प्राप्त करते हो,
हम ही वो औरत है जो तुम पुरुषों को जीवन देती है,
और तुम पुरुषों को जीवन देने के लिए हम अपने कोख में दर्द लिए,
नौ महीने तक संभालकर रखते है ताकि तुम्हे एक जीवन दे सके,
हम औरत के कोख से सिर्फ तुम पुरुष ही जन्म नहीं लेते,
हम नारियों को भी जन्म देते है जो बाद में एक औरत का रूप धारण करती है,
हम औरत अपने संतान का एक समान संस्कार देते है,

फिर औरत क्यूँ नही पुरुषों के ही तरह अपना उलंघन तोड़ के पुरुषों को तकलीफ नहीं देती ? 

हम औरतों का दर्द तुम पुरुष क्या समझोगे,
अगर समझते तो आज औरतों को न नोचते,
तुम पुरुषों को एक औरत से मन नहीं भरता तो,
दूसरी औरत के तरफ ऊँगली उठाते हो,
और उन्ही औरतों को ज़बरदस्ती बेबस करते हो,
तुम्हारे हवस का शिकार बनाते हो और,
उसके जिस्म और अस्तित्व को तार - तार कर देते हो, 
क्यूँ नहीं समझते हो तुम पुरुष की वो औरत भी हम ही है,
हमारा दर्द ही उसका दर्द है,
हम औरतों के अस्तित्व के साथ जब तुम पुरुष छेड़खानी करते हो और,
हमारे जिस्म को तार - तार करके अपने हवस का शिकार बनाते हो तुम,
तो उसी वक़्त हम औरत हमेशा हमेशा के लिए मर जाते है,
हमारे शारीर को जलाने से ही हमारी मौत नहीं होती,
बल्कि हमारे ऊपर अत्याचार होने से ही हम उसी वक़्त मर जाते है,

तुम औरतों के अस्तित्व के साथ छेड़खानी करते समय,
ये क्यूँ नहीं सोचते हो की वही औरत तुमारी जन्म करता है,
तुम पुरुषों का चाहत हर दम रहता है औरतों के ऊपर,
क्या हम औरतों का भी पुरुषों के ऊपर कोई चाहत नहीं होता ? 
जितना हकदार चाहत का तुम पुरुषों को है उतना ही हकदार हम औरतों का भी है, 
कभी तुम पुरुषों ने सुना है की किसी औरत ने पुरुषों के पुरुषोत्ता को तार - तार किया हो ? 

नहीं न ?

ये तो हम औरतें कभी सोच भी नहीं सकती क्यूँ की,
हम औरत तुम पुरुषों को अपना पति परमेश्वर मानती है,
तुम पुरुषों को अपना पति और भगवान् का स्वरुप मानकर पूजा करती है,
अगर तुम पुरुषों को ज़रा सा भी वक़्त मिले तो,
हम औरतों के बारी में थोड़ा सोचना क्यूँ की,
हम औरतों के कारण ही तुम पुरुषों को प्रथम दर्जा दिया गया है,
और हम औरतें ही हर पढ़ी को जन्म देने के बाद पुरुषों को प्रथम दर्जा देते चली गयी, 
हम औरतों के कारण आज तुम पुरुष प्रथम हो,
हम औरत नहीं तो तुम पुरुष नहीं,
तुम पुरुष मानो या न मानो,
हम एक औरत है जिसे माँ दुर्गा स्वरूपिणी कहते है,
हर जन्म में ही औरत बनके जन्म लेंगे हम
हा ! हम औरत है । 

~ ~ सदा बहार ~ ~

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...