Me Shayeri Q Likhti Hoon Ye Mujhe Nahi Pata,Magar Shayeri K Maadyam Se Me Aap Sabhi Ko Kuch Mehsus Kerana Chahti Hoon,Jaise Prem - Pira - Pehchaan Or Parichay,Jab Tanhai Me Apne Under Ki Aatmaa Ko Mehsus Karti Hoon,Tab Anubhurtiyaan Ek Dard Sa Man Hi Man Me Sisakta Rehta Hai,Jise Maine Apne Dill Se Anubhurti Kar Shayeri K Maadhyam Se Kavita K Zariye Logon Tak Pahunchaane Ki Koshish Ki Hai,Shayeri Likhna Koi Mazaak Nahi,Dill Se Shayeri Likhte Waqt Aansu Aa Jaate Hai...
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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Saturday, 25 February 2012
Monday, 20 February 2012
एक प्रश्न
दुनिया कहती है ,
स्त्री कमज़ोर है ,
पुरुष से ,
शारीरिक रूप से ,
प्रकृति से सब कुछ ,
कम पाया है तो क्या करे ,
आकार छोटा,
मांस पेशिया कम ,
और शक्ति भी कम ,
गुरुत्व केंद्र भी निचा है ,
यहाँ तक की " दिल " भी छोटा है ,
कुछ बड़ा है ,
तो फेफड़ा ही है ,
और है तो इस ,
दिल की धड्काने ,
तुम्हारे बड़े दिल ,
से भी ज्यादा ,
ये सब एक सच है ,
क्यूँकी मेरे फेफड़ों में ,
एक आवारा सांस इश्क ,
के तरह फिरती रहेती है ,
सिर्फ तुम्हारे ,
लिए ही जी रही हूँ ,
मेरी हर धड़कन में ,
बस तुम ही तुम हो ,
और तुम्हारी धड़कन में ?
तुम्हे कौन बड़ा लगता है ?
छोटे दिल वाली में ?
या बड़े दिल वाले तुम ?
तुम्हारा आखरी निर्णय ,
ही मान्य है मुझे ,
तुम्हारी प्रतिक्रिया में ,
प्रतिशारत हूँ तुम्हारी में ?
~ ~ सदा बहार ~ ~
दरारें
पहले रिश्तों में ,
हज़ार दरारें ,
रहते थे ,
अब इन दरारों में ,
रिश्तें रहते है ,
पहले दरारों को ,
हम सवारते थे ,
आज उन्ही दरारों ,
में हम जीते है ,
कभी ये रिश्ते ,
बहारों के तरह ,
सजाये जाते थे ,
आज सिर्फ ,
दिखाने के लिए ,
धोये जाते है ,
कभी ये रिश्ते ,
शेहेद से मीठे ,
हुए करते थे ,
आज के रिश्ते ,
कड़वे कदेले के तरह ,
बन गए है ,
देखने में ,
ऊपर से मज़बूत ,
और निचे बेजार,
बेदाम खोखले ,
बनते जा रहे है ,
आज रिश्तों का दम ,
घुटने लगा है ,
इन हज़ार दरारों में ,
पनाहों का जगह कहा है ,
इन रिश्तों को बस ,
खुली हवा चाहिए ,
सदा बहारों में ,
जीने के लिए ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
हज़ार दरारें ,
रहते थे ,
अब इन दरारों में ,
रिश्तें रहते है ,
पहले दरारों को ,
हम सवारते थे ,
आज उन्ही दरारों ,
में हम जीते है ,
कभी ये रिश्ते ,
बहारों के तरह ,
सजाये जाते थे ,
आज सिर्फ ,
दिखाने के लिए ,
धोये जाते है ,
कभी ये रिश्ते ,
शेहेद से मीठे ,
हुए करते थे ,
आज के रिश्ते ,
कड़वे कदेले के तरह ,
बन गए है ,
देखने में ,
ऊपर से मज़बूत ,
और निचे बेजार,
बेदाम खोखले ,
बनते जा रहे है ,
आज रिश्तों का दम ,
घुटने लगा है ,
इन हज़ार दरारों में ,
पनाहों का जगह कहा है ,
इन रिश्तों को बस ,
खुली हवा चाहिए ,
सदा बहारों में ,
जीने के लिए ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
में बहार थी
में बहार थी बिखर गयी ,
में प्यार थी बदल गयी ,
में खुशबु थी फ़ैल गयी ,
में नज़रें थी झुक गयी ,
में स्थिर थी मिट गयी ,
में आवाज़ थी थम गयी ,
में शम्मा थी पिघल गयी ,
में परवानी थी जल गयी ,
में अश्क थी बहे गयी ,
में इश्क थी घूम गयी ,
में दर्द थी सहे गयी ,
में चाँद थी छुप गयी ,
में बादल थी बरस गयी ,
में तूफ़ान थी गुज़र गयी ,
में गुलशन थी बिखर गयी ,
में मोहोब्बत थी गुमसुम रहे गयी ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
मोहोब्बत कम नहीं होती
मोहोब्बत कम नहीं होती ,
फक्त पहेलु बदलने से ,
रफकत कम नहीं होती ,
मगर फिर भी न मिलने की ,
आजियत कम नहीं होती ,
जहा कोई बिचाद जाये ,
वही पर उसकी मंजिल है ,
किसी के साथ चलने से ,
मुसफ्फत कम नहीं होती ,
हमारे दुश्मन में ,
चाहने वाले भी शामिल है ,
सो हम जिस हाल में भी है ,
मोहोब्बत कम नहीं होती ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
Sunday, 19 February 2012
~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ Khwaab ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~
Ek Nanha Sa Khwaab,
Pal Raha Hai Aankhon Me,
Kuch Pyaare Se Sapne,
Jagaaye Hai Man Me,
Aashaaon Ki Bhi Lo,
Timtima Rahi Hai,
Tum Aake Rahoge,
Meri Zindagi Me,
Pura Karoge,
Uss Kami Ko,
Jo Meri Ashkon,
Me Dhali Hai,
Tumhaari Pyaari Si,
Muskuraahat Se,
Me Darti Hoon Kahi,
Tumhaare Dikhaaye Sapne,
Meri Zindagi Me,
Adhuri Na Rehe Jaaye,
Jaldi Aao Varna Ye Sapne,
Sapne Hi Na Rehe Jaaye.
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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