पहले रिश्तों में ,
हज़ार दरारें ,
रहते थे ,
अब इन दरारों में ,
रिश्तें रहते है ,
पहले दरारों को ,
हम सवारते थे ,
आज उन्ही दरारों ,
में हम जीते है ,
कभी ये रिश्ते ,
बहारों के तरह ,
सजाये जाते थे ,
आज सिर्फ ,
दिखाने के लिए ,
धोये जाते है ,
कभी ये रिश्ते ,
शेहेद से मीठे ,
हुए करते थे ,
आज के रिश्ते ,
कड़वे कदेले के तरह ,
बन गए है ,
देखने में ,
ऊपर से मज़बूत ,
और निचे बेजार,
बेदाम खोखले ,
बनते जा रहे है ,
आज रिश्तों का दम ,
घुटने लगा है ,
इन हज़ार दरारों में ,
पनाहों का जगह कहा है ,
इन रिश्तों को बस ,
खुली हवा चाहिए ,
सदा बहारों में ,
जीने के लिए ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
हज़ार दरारें ,
रहते थे ,
अब इन दरारों में ,
रिश्तें रहते है ,
पहले दरारों को ,
हम सवारते थे ,
आज उन्ही दरारों ,
में हम जीते है ,
कभी ये रिश्ते ,
बहारों के तरह ,
सजाये जाते थे ,
आज सिर्फ ,
दिखाने के लिए ,
धोये जाते है ,
कभी ये रिश्ते ,
शेहेद से मीठे ,
हुए करते थे ,
आज के रिश्ते ,
कड़वे कदेले के तरह ,
बन गए है ,
देखने में ,
ऊपर से मज़बूत ,
और निचे बेजार,
बेदाम खोखले ,
बनते जा रहे है ,
आज रिश्तों का दम ,
घुटने लगा है ,
इन हज़ार दरारों में ,
पनाहों का जगह कहा है ,
इन रिश्तों को बस ,
खुली हवा चाहिए ,
सदा बहारों में ,
जीने के लिए ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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