दुनिया कहती है ,
स्त्री कमज़ोर है ,
पुरुष से ,
शारीरिक रूप से ,
प्रकृति से सब कुछ ,
कम पाया है तो क्या करे ,
आकार छोटा,
मांस पेशिया कम ,
और शक्ति भी कम ,
गुरुत्व केंद्र भी निचा है ,
यहाँ तक की " दिल " भी छोटा है ,
कुछ बड़ा है ,
तो फेफड़ा ही है ,
और है तो इस ,
दिल की धड्काने ,
तुम्हारे बड़े दिल ,
से भी ज्यादा ,
ये सब एक सच है ,
क्यूँकी मेरे फेफड़ों में ,
एक आवारा सांस इश्क ,
के तरह फिरती रहेती है ,
सिर्फ तुम्हारे ,
लिए ही जी रही हूँ ,
मेरी हर धड़कन में ,
बस तुम ही तुम हो ,
और तुम्हारी धड़कन में ?
तुम्हे कौन बड़ा लगता है ?
छोटे दिल वाली में ?
या बड़े दिल वाले तुम ?
तुम्हारा आखरी निर्णय ,
ही मान्य है मुझे ,
तुम्हारी प्रतिक्रिया में ,
प्रतिशारत हूँ तुम्हारी में ?
~ ~ सदा बहार ~ ~
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