तुम्हारे आवाज़ और आँखों के सिवा ,
इस दुनिया में और कुछ भी नहीं रखा है ,
मेरी ये आँखें ,
सुबह तुम्हारे चेहरे को देखकर ही खुलती है ,
न जाने तुम्हारे आँखों में ऐसा क्या जादू है ,
जिसे देख कर मेरा मन ,
मोहित हो जाता है ,
और में खिचे चली जा रही हूँ तुम्हारे पास ,
तुम्हारे होंटों की मुस्कान ,
और तुम्हारा चेहरा मुझसे कुछ कहना चाहता है ?
तुम्हारा वो आवाज़ ,
तुम्हारा वो अंदाज़ ,
मेरे तन मन में समाये हुए है ,
अपने ही मेहेरूम को ,
एक आवाज़ के लिए क्यूँ सताते हो ?
यूँ ही तो तुम मुझसे दूर रहकर भी ,
दूरियां और फासलें बड़ा रहे हो ,
एक वही तो आवाज़ था जो तुम्हे ,
मेरे नज़दीक ले आता था ,
अब तुम उस आवाज़ को मुझसे क्यूँ दूर कर रहे हो ?
वो आवाज़ ही तो मुझे तन्हाइ ,
और गम में साथ दिया करता था !
अब तक वही तुम्हारा आवाज़ ,
मेरी जिंदगानी और दर्द का दावा था ,
हर वक़्त जिसे तुम्हारा ख्याल हो उसे क्यूँ एक आवाज़ के लिए तड़पाकर दूर कर रहे हो ?
मैंने तो तुमसे एक आवाज़ के सिवा और कुछ नहीं माँगा था , फिर क्यूँ तुमने ऐसा किया ,
आखिर तुम्हारे अन्दर ,
ऐसा क्या कश्म कश चल रहा है ?
जो तुम मुझसे अपनी वो आवाज़ भी छीन लिए हो ?
आखिर क्या वजह है ?
~ ~ सदा बहार ~ ~
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