तुम्हारी याद कितनी मीठी है ,
इसे में अपने दिल में समाये बैठी हूँ ,
तस्वीर तुम्हारी रसिया प्रीतम ,
नयनों में छिपाए बैठी हूँ ,
अरमान तुम्हारे मिलने का है ,
दिल में बहुत दर्द छुपाई बैठी हूँ ,
उन अरमानो से इस दिल की ,
मैं दुनिया बसाये बैठी हूँ ,
तुम्हारे नाम का सिंदूर मैंने ,
अपने मांग में सजा रखा है ,
कब आओगे कुछ खबर तो दो ,
बेचैन है दिल इस विरहन का ,
कब से मैं तुम्हारी राहो में ,
पलकों को बिछाये बैठी हूँ ,
सांस आती है सांस जाती ,
सिर्फ मुझको है इंतज़ार तेरा ,
काबिल न सही पर शौक तो है ,
तुम्हारे दीदार का प्रीतम ,
इस दाव में अपने जीवन की बाज़ी ,
मैं लगाये बैठी हूँ ,
आ जाओ मेरे प्रीतम ,
आ जाओ मेरे रसिया मोहोब्बत ,
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर ,
हर चीज़ का हिसाब देंगे अमानत समझकर ,
साथ न रहना चाहो ,
तो कोई बात नहीं ,
आंसुओं की घाटाएं पी पी के ,
अब कहता है यही प्यार मेरा ,
जिंदा रहने के लिए तेरी कसम ,
एक मुलाक़ात ज़रूरी है सनम ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
No comments:
Post a Comment