ऐ ज़िन्दगी !
वक्त की हथेलियों पर ,
हर किसी के खुशियों का ऐसा पैगाम लिख दूँ ,
जो खुशियाँ गम और तन्हाई में डूब गई हो ,
मैं उन खुशियों को वापस मिला दूँ ,
खुदा से इतना दुआँ करूँ की गम ,
और जुदाई हर किसी के ज़िन्दगी से ,
सदा सदा के लिए मिटा दूँ ,
ख़ुशी से हैं जो महरूम ,
हर इक ख़ुशी उन सभी के नाम लिख दूँ ,
मुस्कराती हुई हर सुबह ,
खिलखिलाती हुई हर शाम लिख दूँ ,
हर किसी के ज़िन्दगी से तन्हाई ,
और जुदाई मिटाकर खुशियों का ऐसा पैगाम लिख दूँ ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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