इतेफाक से हम मिले थे ,
इतेफाक से उन्हें हम पसंद आये ,
इतेफाक से हम एक दूजे के बने ,
मेरे ख्वाबों में आना उनका कसूर था ,
उनको हमारा समझ लेना हमारा कसूर था ,
हमारी दोस्ती अब इतेफाक नहीं है ,
हकीकत कहो तो उनको ख्वाब लगता है ,
शिकवा करो तो उनको मज़ाक लगता है ,
कितनी शिद्दत से उन्हें चाहते हैं हम ,
ज़िन्दगी की खूबसूरत हकीकत है ये ,
और एक वो है जिन्हें ये सब इतेफाक लगता है ,
कितना सुकून मिलता था ,
जब उनसे हमारी बात होती थी ,
हज़ार रातों में वो एक रात होती थी ,
निगाह उठा के देखते थे जब वो मेरी तस्वीर को ,
तब मुझे उनके प्यार का एहेसास हो जाता था ,
वो एक निगाह ही मेरी कयानत लाती थी ।
~ ~ सदा बहार ~ ~
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