............भवरों की ज़िन्दगी ..................
हर बेहेतरीन श्रृंखला में रहेके कलि भवरों से मुस्कुराई
भवरों ने गुंजन सुनाई , सुमन हंसा चमन मुस्कुराई
फूलों का मीठा रस पिने भवरें जब उछल कूद मचाएं
तब फूलों ने अपने पंख फेहेराया और एक खुशबू के साथ
रस की लोभी मधु मक्खी को खूब रस पिलाई
फूलों के पंखुड़ियों को करती चुम्बन भवरें और रंगबिरंगी तितलियाँ
पराख को लपेटे अपने बदन में खूब रगीन मज़ा लुटाते रही
एक फूल से दुसरे फूल को सदा जगाते रही
वायु के लेहेरों ने खूब मचाया शोर
भवरें गुंजन के साथ भाग खड़े हुए
सुमन हंसा चमन मुस्कुराई
सदा जीवन रहे इन कलियों का भवरों के साथ
इसी का नाम है ज़िन्दगी
..........सदा बहार ..........................
No comments:
Post a Comment